Saturday, July 6, 2024
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कूर्म द्वादशी के दिन होगी रामलला की प्राण प्रतिष्ठा,भगवान विष्णु से क्या हैं नाता?

हिंदू धर्म में कूर्म द्वादशी को बेहद ही शुभ माना जाता है। पौष मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को कूर्म द्वादशी मनाई जाती है। साल 2024 में यह द्वादशी 22 जनवरी सोमवार को मनाई जाएगी। आइए जानते हैं कूर्म द्वादशी का भगवान विष्णु से क्या कनेक्शन है और इसकी पूजा विधि।

पौष माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को कूर्म द्वादशी के नाम से जाना जाता है। हिंदू धर्म की मान्यतओं के अनुसार, यह दिन भगवान विष्णु के गुरु यानी की कछुए अवतार को समर्पित है। माना जाता है कि कूर्म द्वादशी के दिन दान, धर्म और श्राद्ध कार्यों से पापों का नाश होता है। इस बार कूर्म द्वादशी 22 जनवरी 2024 को मनाई जाएगी। इसी दिन अयोध्या में नवनिर्मित भव्य राम मंदिर में रामलला मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी। द्वादशी तिथि की शुभता को देखते हुए प्राण प्रतिष्ठा के लिए इस दिन को निर्धारित किया गया है।

हिंदू धर्म में द्वादशी का दिन एक महत्वपूर्ण दिन होता है। कूर्म द्वादशी के दिन जगत पालनहार श्री हरि को समर्पित होता है। इस दिन भगवान विष्णु की विशेष पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यता है कि समुद्र मंथन के लिए भगवान विष्णु ने कछुए का अवतार लिया था जो कि विष्णु जी का दूसरा अवतार माना जाता है। कहते हैं कि समुद्र मंथन के दौरान देवताओं की सहायता के लिए और मननांचल पर्वत को डूबने से बचाने के लिए भगवान विष्णु ने कूर्म अवतार धारण किया था।

इस दिन उनके कछुए अवतार का पूजा का विधान है। साथ ही इस दिन कछुए लाने को भी बेहद जरूरी बताया गया है। ऐसा माना जाता है कि चांदी, अष्टधातु का कछुआ घर या दुकान में रखना काफी शुभ होता है। इससे जीवन में तरक्की की संभावना बढ़ जाती है। साथ ही कूर्म द्वादशी का व्रत भगवान विष्णु की कृपा, आशीर्वाद, और सुरक्षा पाने के लिए किया जाता है।

कूर्म द्वादशी पूजा विधि:-

कहते हैं कि इस पूरे दिन को भगवान विष्णु के समर्पण करना चाहिए।
व्रत करने वाले को सुबह उठकर ही स्नान करके व्रत की शुरुआत करना चाहिए।
भगवान विष्णु की प्रतिमा के साथ कछुए की एक छोटी मूर्ति पूजा स्थल पर रखनी चाहिए।
कुमकुम, चंदन, रोली प्रतिमा या मूर्ति पर लगाएं। तुलसी के पत्ते और पीले फूलों को अर्पित करें।
फिर पंचामृत से अभिषेक करें, उसके बाद निर्जला व्रत शुरू करना चाहिए।
भगवान विष्णु की पूजा करें और फलाहार कर पूरे दिन व्रत रहें।
व्रत धारण कर विष्णु जी के कूर्म अवतार का कथा पढ़ें।
व्रत का पारण करने से पहले श्री हरि का पूजा कर प्रसाद ग्रहण करें।

कूर्म द्वादशी का महत्व:-

किसी भी तरह के निर्माण संबंधी कार्य के लिए कूर्म जयंती का दिन बहुत ही शुभ माना जाता है। माना जाता है कि कूर्म द्वादशी का व्रत व पूजन पूरी निष्ठा और पवित्र मन से करने वाले भक्तों के सारे दुख दूर हो जाते हैं और उसे समस्त पापों के दंड से भी मुक्ति मिल जाती है। मान्यता है कि इस व्रत को करने से व्यक्ति भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करता है और उसके जीवन में हमेशा सुख-शांति बनी रहती है।

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